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रुपरेखा: मनोरंजन का अर्थ - मनोरंजन के बिना स्वास्थ्य - प्राचीन काल में मनोरंजन - मनोरंजन के आधुनिक साधन - अनेक आधुनिक साधन - उपसंहार।
मनोरंजन का अर्थमनुष्य के मन को प्रसन्न करने की क्रिया या भाव को मनोरंजन कहते है । ऐसा कोई कार्य या बात जिससे मनुष्य का समय बहुत ही आनंदपूर्वक व्यतीत होता है, उसे मनोरंजन कहते है। मनोविनोद, दिल-बहलाव तथा इन्टरटेनमेंट, इसके रूप हैं। मनोरंजन मात्र मन की रचन-क्रिया ही नहीं, जीवन दर्शन भी है। जीवन जीने की एक कला है। जीवन-मूल्यों के प्रति आस्था है। मनुष्य की विचारधारा की नजर से अस्थिर मनमें कमल विकसित करता है। फिल्म में कही हुए - दिल दे तो इस मिजाज का परवर दिगार दे। जो रंज की घड़ी को खुशी में गुजार दे।। मानव की स्वभावगत मोहक प्रकति है मनोरंजन | जीवन को हँसकर जीने की औषधि है तो स्वास्थ्य का अनोखा मंत्र है मनोरं॑जन। मनोरंजन का अर्थ है मन को प्रसन्न रखना। इसी को मनोविनोद भी कहते हैं। मन के प्रसन्न रहने से शरीर व मन, दोनों को लाभ मिलता है तथा प्रसन्न रहने से आयु बढ़ती है। मनोरंजन के क्षणों में शरीर के तनाव-ग्रस्त तन्तु ढीले पड़ जाते हैं और अतिरिक्त शक्ति का ढेर होने लगता है।
मनोरंजन के बिना स्वास्थ्यमनोरंजन के बिना मनुष्य का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। कार्यों में मन नहीं लगता है। इच्छा-शक्ति कमजोर पड़ जाता है। मानसिक चेतना ही जागृति के अभाव में जीवन का संतुलन बिगड़ जाता है। मनुष्य के स्वभाव में चिंड़चिड़ापन आ जाता है। निर्मल भाव समाप्त हो जाता है तथा जीवन नीरसता से भर जाता है । इस कारन मनुष्य का मानसिक चेतना ख़राब हो जाता है और वह अपना स्वास्थ्य को ख़राब कर बैठता है। इसीलिए मनुष्य मनोरंजन के लिए कुछ समय निकलता है तथा अपने मन जीवन में आनंदमय क्षणों की वास्तविक अनुभूति प्राप्त करना आवश्यक समझता है।
प्राचीन काल में मनोरंजनप्राचीन काल में खान-पान, सरकस जैसे साधन थे। प्राचीन भारत में नाटक और पुत्तलिका-नृत्य, काव्य- ग्रन्थों का अध्ययन, शतरंज और ताश, शिकार आदि प्राचीन काल में मनोरंजन के प्रमुख साधन थे।
मनोरंजन के आधुनिक साधनवैज्ञानिक उन्नति के साथ-साथ मनोरंजन के साधनों का भी विकास होता गया। आज मनोरंजन के लिए सबसे प्रिय साधन हैं टेलीविजन (दूरदर्शन) और रेडियो (आकाशवाणी) हो गया है। आधुनिक काल में घर-घर में टेलीविजन और रेडियो हैं । टेलीविजन में फीचर फिल्में तथा नृत्य एवं संगीत के विविध मनोरंजक कार्यक्रम लोग पसंद करने लगे है । गणतंत्र दिवस का आनंद लेते तथा क्रिकेट-मैच से मनोरंजन करना लोगों का शौक बन गया है । यह अनेक धारावाहिकों द्वारा अनेक रूप प्रतिदिन मनोरंजन कराने वाला बिना वेतन का सेवा है।
अनेक आधुनिक साधनमनोरंजन का सबसे पुराना आधुनिक साधन है ध्वनि कार्यक्रमों पर आधारित मानव का स्वस्थ मनोरंजन का साधन है। अनेक भारती के कार्यक्रम, मनोरंजक प्रायोजित कार्यक्रम, गीत, नाटक, प्रसारण लोकरुचि के कार्यक्रम, कहानियाँ तथा कविताएँ, क्रिकेट कॉमेंट्री आदि कार्यक्रम मानव को स्वस्थ और चुस्त बना देते हैं। मानव का प्रिय आधुनिक साधन है चलचित्र या सिनेमा। कम पैसों में हॉल में बैठकर फिल्म देखते देखते कब तीन घंटे बीत जायेंगे आपको पता महि चलेगा। इसी तरह मनोरंजन के अन्य आधुनिक साधन भी है जैसे सरकस, रंगमंचीय नाटक, ध्वनि-प्रकाश कार्यक्रम तथा नृत्य और संगीत जैसे कार्यक्रम। सरकस में जोकर हँसाकर एवं पशुओं और युवक-युवतियों के साहसिक कृत्य दिखाकर जनता का स्वस्थ मनोरंजन कराते है। इसी प्रकार नृत्य संगीत नाटक में संगीत की धुन पर नृत्य और अभिनय का संगम बहुत दिलचस्प कार्यक्रम होता है। रंगमंचीय नाटक और ध्वनि-प्रकाश कार्यक्रम मानव मन को जयकार करते हैं। ताश, कैरम, शतरंज, बैडमिंटन, फुटबॉल, क्रिकेट, कबड़ी, आदि खेल भी आधुनिक युग में मनोरंजन के अच्छे साधन हैं। अपनी-अपनी रुचि के अनुसार युवक इस मनोरंजन का लाभ उठाते है। मनोरंजन के कुछ अन्य साधन जैसे पिकनिक पर जाना। मित्रों के संग जब पिकनिक पर जाते है, तो अनेक दिनों तक वहा का ख़ुशी हम नहीं भूल पाते है। कवि-सम्मेलन, काव्य-गोष्ठियाँ, सांस्कृतिक-कार्यक्रम जैसे मनोरंजन जीवन में आनंद प्रदान करते हैं।
उपसंहारविज्ञान की प्रगति के साथ आज का मानव जीवन अधिक व्यस्त होता जा रहा है। जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं को जुटाने और अधिक महँगाई के कारण आज का मानव घुटन का जीवन जी रहा है। चेहरे पर मुस्कान रहते भी वह अंदर से परेशानी लिए जीता है। जीवन से जूझने में समयाभाव दीवार बनकर खड़ा है । समय की कमी होने के कारण मानवीय मनोरंजन के साधनों में भी उसी मात्रा में विकास हो रहा है। दिन-भर कठोर श्रम करने वाला श्रमिक जब घर लौटता है, तो रेडियो या दूरदर्शन उनका मनोरंजन करते हैं अथवा उनके रखने का साधन बनते है।
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